वक्त कहां बुरा होता है

वक्त कहां बुरा होता है
बुरा तो में था
उस वक्त भी और आज भी
बुराई को बुरा
बता ना पाया
रोया तब भी
जब अनके खुशी में खुश हुआ
रोया आज भी
जब अपने आपको तन्हा पाया
लिखकर कहां कोई आजाद हुआ
खामोशियों से
ख़ामोश जुबां होती है
वक्त तो बेजुबान है
इनपर आखिर कोन तोहमत लगाया

TAFIZUL

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