
जहां न पहुंचे रवि वहां पहंचे कवि
जहां न पहुंचे रवि वहां पहंचे कवि।चांद उतlरे धरती पे बने अनुपम छवि।।रेगिस्तान में बहा दे झरना प्यास बुझादें सभी।जहां न पहँचे रवि वहां पहँचे कवि।।हथियार उसका लेखनी भावनाएं हैं सभी।कल्पनाओं से समाहित है मन है अनुभवी।।जहां न पहंचे रवि वहां पहँचे कवि।।पतझड़ के मौसम में ले आए सावन छवि।ग्रिस्म के तांडव में वर्षl छाए…