
फ़ासले : दो किनारों के बीच
तुम लाखों में एक होबस दुआ है मुकद्दर से,हमेशा साथ मिलती रहेहमारी सांस जुड़ी रहे तुमसे । ग़ुस्सा तुम्हारा प्यार है,दूरी हमारी मजबूरीदिल में कितनी ख्वाहिश जगी है,बस तुम्हें पाके होंगे सब पूरी। बेनाम सी रिश्ता हैं हमारी,नाम क्या दूँ इसको ?प्यार में अगर सब कुछ मिले तो,दुनिया में चाहे हम किसको? ये अलग बात…