सपना

आज नाजाने क्युं अजिव सि बेचनी हुई ,शायद ये तुम्हारे आने कि खुशी थी,पतानहीं कीया हुआ……….तुमसे मिलने के बाद सब कुछ थहम सा गयाआखें तरसती थी तुम्हें देखने के लिएलेकिन जो भी हुआ अछा हुआ……..पता नहीं तुम एसे क्यों आएअर आचानक से चले भी गयेलेकिन जो भी हुआ अछा हुआ……..क्या कुछ सोच ने लगी थी…

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रिहाई

पहला सच्चा प्यार हो, राख़ के निचेआग सी सुलगते रहते होमेरे ख्यालों से दूर क्योँनहीं चले जाते हो?वक़्त बेवक़्त याद आ जाते होऐसे तड़पाके मुझे क्या पाते हो?जानती हूँ तुम किस्मत मैं नहीं होफिर भी तुमसे मोहब्बतकम नहीं होती.हसीं की नक़ाम कोशिश कर भी लूँआँखों की नमी कम नहीं होतीबोलो मैं कौनसीदिशा मैं जाऊं,जहाँ भी…

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इमारत

इमारत बस इमारत नहीं होतेइनमें कुछउम्मीद, कुछ लगन कुछ जज्बा होते हैंमेहनत ओर मोहब्बत सेसज संवर कर जब एक दीवारअपने सर पे छत रखकरहमें पन्हा देती हैउसे इमारत कहते हैं महलों कि चाहत तुम्हें मुबारकअकसर हम जमीन पर लेटकरखिड़की से जब जिंदगी को तलाशते हैंसर्दी, गर्मी, बारिश आके हमेंगले लगाते हैंतुम्हें याद हो शायदइस धरती…

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डिअर ज़िन्दगी

यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलाएगीकभी खुशियों का खजाना तोकभी गम का तहखना बन जाएगी |कभी नयी नबेली दुल्हन तो कभीबेवा की सुनी मांग बन जाएगी |ये ज़िन्दगी है कई चेहरे दिखाएगीकभी कान्हा की बांसुरी तो कभीनटराज की तीसरी आँख बनजाएगीये ज़िन्दगी है कई पड़ाव दिखाएगीकभी गीता का सास्वत सत्य तो कभीकुरान की पाक जुबानी…

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बदल दिए हमने

बदल दिए है हमने अबनाराज होने का अंदाजरूठने के बजह सिर्फमुस्कुरा दिया करते हैं कोई समझता नहींदर्द ऐ अल्फाज हमारेबे बजह किसी कोदर्द दिया नहीँ करते समझ लेतेहै इरादा लोगों काकोई हुम् दर्द कंहा यहांकोई नाराज देख के खुस तोकोइ नाराज कर के। हुम् तो आंसुओं को भीसमझा दिया करते हैबजह बे बजह हमेनम न…

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आंसू के अमृत

अकसर में यूंही रो लेता हूंआंसू को अमृत समझ कर पि लेता हूंखुशनसीब हूं मैंतलाश करता नहीं कहीं उसकोलोगों के चेहरों मेंउसे ढूंढ लेता हूंअकसर में यूंही रो लेता हूंआंसू को अमृत समझ कर पी लेता हूं मुस्कुराते उन पलों कोगुजरते देखा है हमनेगमों कोदास्तान बनते पाया है हमनेछोड़ो बेकार के इन बातों कोसिर्फ बातें…

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‘रूमी’ को पढनेवाली लडकी

मुझे, तुम –किसी बेवफाई या जुदाई का किस्सा,न सुनाया करो;मैं किसी मेहबूब से नहीं,बल्की –मोहब्बत से मोहब्बत करती हूँ!मैं ‘रूमी’ को पढनेवाली लडकी हूँ,मैं तो –आसमान, मिट्टी, समन्दर, पहाड़चांदनी, दरिया, बारिश, हवा,यहां तक –पर-कटे परीन्दे में भी महब्बत कोपा लेती हूँ। मुझसे –वह दिवार या दिलों का खाक छाननाकाहाँ मुमकिन हुआ आज तक?मैं तो शदियों…

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राम नाम

राम नाम अमृत करले पान,कांटा भी हो जाए पुष्प समान।कलयुग केवल नाम अधlरा,जपत जपत नर उतरही पारा।यह तो हमारी वेद है कहती ,कलयुग में नाम की गंगा बहती।इस गंगा में स्नान तू करले,मन का मैल साफ तू करले।जपले तू राम नाम दिन रात,वही बस जाएगा तेरे साथ।राम नाम धन लूटले मन,जपत चले जा रात हो…

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कदम बढ़ाता चल

पाना है अगर मंजिल कदम बढ़ाता चल,लाख आए वlधाएं रूक मत तु चल।कर्म से ही तकदीर बनता इसको कभी न भुल,मेहनत की पसीनो से धुल जाएंगे सारे धुल।बिना मेहनत से खाए तो शरीर न देता साथ,मेहनत से ही तकदीर बने यह तो पक्की बात।दृढ़ निश्चय से कर्म कर मिलेगा एक दिन फल,आज छाया अंधेरा तो…

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सत्य

थक कररुक करख़ामोश होकरतड़प तड़प कर कहांइतिहास लिखा जाता हैसोच करसमझ करनिरन्तर प्रयास कर के हीमंजिल पाया जाता हैचिल्लाकरबबाल मचाकरभ्रान्ति फैलाकरसिर्फ झूठ बोला जाता हैलाख कोशिश करझूठ का प्रलेप लगाकरसत्य का आधारगिराया नहीं जा सकता हैक्यों केसत्य सदैव सत्य होता है ।। तफिजुल

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