Category: हिन्दी कविता

इश्क
मेरी ज़िन्दगी मैं कभी कोईचमत्कार क्योँ नहीं होती?ऐसा क्या गुनाह हो गयामुझसे ए खुदा की तेरेरेहमत की बरसात नहीं होती?मोहब्बत, मोहब्बत को तरसते रहेअरमानो को दबाये रखा,शिकायत किसी से क्या करेंजब समंदर ने ही प्यासा रखा || ||सुना था प्यार दस्तक देती हैदिल मैं एक बार कभी ना कभीहम ने भी उस पल का बेसब्री…

रिहाई
पहला सच्चा प्यार हो, राख़ के निचेआग सी सुलगते रहते होमेरे ख्यालों से दूर क्योँनहीं चले जाते हो?वक़्त बेवक़्त याद आ जाते होऐसे तड़पाके मुझे क्या पाते हो?जानती हूँ तुम किस्मत मैं नहीं होफिर भी तुमसे मोहब्बतकम नहीं होती.हसीं की नक़ाम कोशिश कर भी लूँआँखों की नमी कम नहीं होतीबोलो मैं कौनसीदिशा मैं जाऊं,जहाँ भी…

इमारत
इमारत बस इमारत नहीं होतेइनमें कुछउम्मीद, कुछ लगन कुछ जज्बा होते हैंमेहनत ओर मोहब्बत सेसज संवर कर जब एक दीवारअपने सर पे छत रखकरहमें पन्हा देती हैउसे इमारत कहते हैं महलों कि चाहत तुम्हें मुबारकअकसर हम जमीन पर लेटकरखिड़की से जब जिंदगी को तलाशते हैंसर्दी, गर्मी, बारिश आके हमेंगले लगाते हैंतुम्हें याद हो शायदइस धरती…

डिअर ज़िन्दगी
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलाएगीकभी खुशियों का खजाना तोकभी गम का तहखना बन जाएगी |कभी नयी नबेली दुल्हन तो कभीबेवा की सुनी मांग बन जाएगी |ये ज़िन्दगी है कई चेहरे दिखाएगीकभी कान्हा की बांसुरी तो कभीनटराज की तीसरी आँख बनजाएगीये ज़िन्दगी है कई पड़ाव दिखाएगीकभी गीता का सास्वत सत्य तो कभीकुरान की पाक जुबानी…