मंगल गीत गाओ

मंगल गीत गाओ …… !अभिनंदन गीत गाओ ..!घर आये दशरथ नंदनदीप मालिकाएं सजाओ .!दीपावली मनाओ …….! कांटों से कटे हैं बरस बरसनैना भी गये थे तरस तरसमैं रे लाल प्यास बुझाओसीने से मैं रे लग जाओदीपावली मनाओ…….! महलों कि ये उजयाली भीथी उजयाली अंधियारी सीहर आहट पर तुम ही तुम थेहर आहट पर तुम ही…

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वक्त कहां बुरा होता है

वक्त कहां बुरा होता हैबुरा तो में थाउस वक्त भी और आज भीबुराई को बुराबता ना पायारोया तब भीजब अनके खुशी में खुश हुआरोया आज भीजब अपने आपको तन्हा पायालिखकर कहां कोई आजाद हुआखामोशियों सेख़ामोश जुबां होती हैवक्त तो बेजुबान हैइनपर आखिर कोन तोहमत लगाया TAFIZUL

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मैं तेरे साथ खड़ी थी, मैं तेरे साथ खड़ी हूं

ये दुनिया चाहे कुछ भी कह ले तुझेपर मैं तो बस इतना कहूंगी किमैं तेरे साथ खड़ी थीजब तू जीत का परचम लहरातीअन्तिम लड़ाई लड़ने खड़ी थी,जीत का अन्तिम पड़ाव बस छूने बाली थी!मैं तेरे ही पास खड़ी थी, तेरे ही साथ खड़ी थी;तेरी खुशी में शामिल, तेरे लिए प्रार्थना करती!मैं तब भी तेरे साथ…

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क्या से क्या हो गये हम

इश्क की आग में हम दोनों कुद गये थे,आग की तपिश तो छू भी ना सकी तुम्हेंपर हम आज भी उस में जलकर खाक होते रहते हैं। इश्क के समंदर में हम दोनों डुब गये थे,तुम तो तैर कर किनारा कर गये,पर हम अब भी समंदर में किनारा ढूंढते रहते हैं । ख्वाबों के आगोश…

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जहां न पहुंचे रवि वहां पहंचे कवि

जहां न पहुंचे रवि वहां पहंचे कवि।चांद उतlरे धरती पे बने अनुपम छवि।।रेगिस्तान में बहा दे झरना प्यास बुझादें सभी।जहां न पहँचे रवि वहां पहँचे कवि।।हथियार उसका लेखनी भावनाएं हैं सभी।कल्पनाओं से समाहित है मन है अनुभवी।।जहां न पहंचे रवि वहां पहँचे कवि।।पतझड़ के मौसम में ले आए सावन छवि।ग्रिस्म के तांडव में वर्षl छाए…

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बरसात

बरसती जब बूंदे लगती दुआएं ,नजर ये उतlरे काली घटाएं ।रिमझिम ये धुन लगती संगीत है ,मन को भा जाए बारिश की गीत है।झूमे मन संग बरखा बन के ये मोरनी ,रूप अनोखी वर्षl लगे मन मोहिनी।प्यासी धरती राह तकती तुम्हारी,वर्षl रानी पधारो धरा पे हमारी।बरखा संग बिजुरिया सोलह सिंगार है,बादल जो गरजे जैसे सितार…

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सफर

सफर बड़ा मुश्किल रहासफर बड़ा मुश्किल रहापर जीत इसी में है केआज तक में रुका नहीं, लाख छोटे खाई मगर मैं टूटा नहीं,कुछ मिला कुछ खौया,कुछ मीटा कुछ बना,पर मैं कहीं छुपा नहीं। किसी को क्या खबर मेरे मेहनत , मेरे जज्बे की,लोग तो बदल जाते हैंबदलते हालातो पर,पर मैं बदला ऊंचाइयों के लिएदूसरों के…

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धागे कटी पतंग के

कभी कभी दिल से दूर, अलग थलग,अकेले पड़ जाते हैं कई रिश्ते!न जाने कब अनजाने में हीहाथ से फिसल जाते हैं वो रिश्ते,जो कभी बेहद अज़ीज़ हुआ करते थे,दिल के करीब रहा करते थे!पर अचानक नहीं होता ये सब।कोई रिश्ता यूं ही फिसलता नहीं है हाथ से।किसी छोर से सरक जाती है मिट्टी,जो रिश्ते में…

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भेद भाव

दोनो मैं ये भेद क्योँ?एक कुल का चिरागतो दूसरा बोझ क्योँ?एक के लिए शिक्षा का भरपूर साधन, दूसरे के लिए चूल्हा चौका क्योँएक के लिए आजादी, दूसरे के लिएपाबन्दी क्योँ?एक तुम्हारे लिए सुनहरा भविष्यदूसरा तुम्हारी सिर्फ ज़िम्मेदारी क्योँ?एक की गलती को नज़र अंदाज़दूसरे की गलती अपराध क्योँ?एक के पैदा होने पर खुशी का माहौलदूसरे के…

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क्या तुमको भी अच्छा लगता है

क्या तुमको भी अच्छा लगता है ये मन की मनमानियां,क्या तुमको भी सुनाई देती है ये लहरों की खामोसियां।क्या तुमको भी आभास होती है ये दूरीओ में नजदीखियां,क्या तुमको भी सताती है ये वक्त की नlफरमानिया।क्या तुमको भी सताती है ये वक्त की नlफरमानिया……..।।क्या तुमको भी दिखाई देती है ये नज़रों की गुस्ताखियां,क्या तुमको भी…

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