मोहब्बत – ऐ – तन्हाई

तनहाई से क्या रुसवा करनातनहाई में मुकद्दर सजती हैयूं तो लोग कहते हैं किहम तेरे बिन जी नहीं सकतेपर कुछ यादें जिन्दा रखती है न जाने किस गलतफहमी मेंयूं भटकते फिरते रहते हैंउनको अपना मानने लगेजो कभी हमारे थे ही नहींफिर भी उनपे ऐत ऐतबार करते हैं इस दिल की कस्ती मेंउनको सवार कर लियाजो…

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काश अगर मैं इंसान नहीं होता

काश अगर मैं इंसान नहीं होतादिल मेरा क्लेशों से भरा नहीं होतान मैं किसी के प्रगति से जलतान किसी के खुशियों पर आहें भरताकाश अगर मैं इंसान नहीं होता। न मैं हिंदी-मुस्लिम करतान मंदीर-मस्जिद के झगड़े में पड़तान गीता की झूठी कसमें खातान बाईबिल, कुरान पर तंज कसताकाश अगर मैं इंसान नहीं होता। न सियासत…

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तन्हाई में लिपटा भीड़

जब तु पास नहीं होता है, यह शाम की हवा- मेरे  चारों तरफ तनहाई का भीड़ जमाती है; आंखों में- इन्तजार का बाजार लग जाता है! जब तु पास नहीं होता- ये चांद और तारे जुगनू की भाति, मेरा दिल बहलाने में जुट जाते हैं, सहर भर के रास्ते- मेरे साथ-साथ ही हैं चलते, और-…

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पता

जीवन के दुखों कोपीकरदिल नीला हो गया।भावनाओं की तूलिका सेघूमता हूँसीने की हरियाली में,जहाँ मैं ढोता फिरता हूँदुख, जोआँसू बनकर निकलते हैं।ये दुख भी तोप्यार से हीएक पता हैं। पपी चहारिया दारंग, असम

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भ्रम

मैंने कुछ देर उसके सिने में अपना चेहरा छिपा लिया। मेरे कोशिश नकरने पर भी उसकी धडकने, मेरे कान की परदे पर दस्तक दे रहीं थी। इस धुन को मै पहचानती हूँ! बडा पुराना सा राग है वह, मेरे तजुर्बे से भी पुराना! मैं स्थिर खडी रही, मेरी सांसों ने उसे हल्का फूले होने का…

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कर्मबिर

चलो चलो कर्मबिर यह कर्म करने का समय है,बहुत हुआ अच्छी बातों सिलसिला का अब कुछ कर दिखाने का समय है। झटक दो कोएले के कलंक को,अब हिरा बन निकल ने का समय है।बहुत जुझे तुम आंधी तूफान से,अब बरगद बन खड़े रहने का समय है। धूप बारिश का खेल में अब तो बिसाल गगन…

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मोहब्बत की राह पर

चुननी है राह कोई गर तो चुन लो राह मोहब्बत की। चलना है दूर गर, बहुत दूर तलक तो साथ लेके चलो उन्हें, जो पग पग साथ चले; सफ़र को मुकम्मल करें साथ मिल कर तुम्हारे। नफ़रत को चुना है जो कोई कभी उसे हासिल भी हुआ क्या है? कभी खुशी उससे दूर भागी तो…

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पुरुष

औरत होना आसान नहीँपर पुरुष होना क्या आसान हैकौन कहता है पुरुष पत्थर कीतरह शक्त होता है। पुरुषों के भी संवेदनाऐं होते हैंउनके भी जज्बात होते हैंउनमें भी ओरत की तरहसहनशीलता होती है। वह दिखाते नहीँ कभीजताते भी नहीँउनकी भी आखें नम् होती हैंऔर जिम्मेदारियाँ ताउम्रकहीँ ज्यादा ही होती हैं। हम ओरतों को लगता हैहम…

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वक्त

वक्त का भी एक वक्त होता हैजो गुज़र गया ओरजो आने वाली हैये जो वक्त गुजर रहि हैये भी मुकर्रर थाओ भी मुकर्रर हैजिसकी तुम्हें तलाश हैचंद फासले जरुर हैं वक्त से तुम्हारेजिसका तुम्हें भी एहसास हैवक्त भी तुमसेमिलने के लिए बेकरार हैजो हो रहा है उसे होने दोतकदीर बदलदे एसा कौन है यहांवक्त के…

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कैसे हो तुम ?

एक अरसे के बाद किसीनेपुछा “कैसे हो तुम ?” हमने थोडा मुस्कुराया और कहा ” देखो मुस्कराकरकहेते है, कोई गम नहीं । “बात बात पर खिलखिलानाहमारे आदत मे सामील है,मन ही मन सोचा,अंदर जो सन्नाटा हैबस कभी किसीको जताते नहीं.।छोटी छोटी बातों पर रोनाछोड ही दिया हमनेकभी आँखें नम हैतो छिपाते नहींखुशी के आँशु हैं…

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