
क्या से क्या हो गये हम
इश्क की आग में हम दोनों कुद गये थे,आग की तपिश तो छू भी ना सकी तुम्हेंपर हम आज भी उस में जलकर खाक होते रहते हैं। इश्क के समंदर में हम दोनों डुब गये थे,तुम तो तैर कर किनारा कर गये,पर हम अब भी समंदर में किनारा ढूंढते रहते हैं । ख्वाबों के आगोश…