कदम बढ़ाता चल

पाना है अगर मंजिल कदम बढ़ाता चल,
लाख आए वlधाएं रूक मत तु चल।
कर्म से ही तकदीर बनता इसको कभी न भुल,
मेहनत की पसीनो से धुल जाएंगे सारे धुल।
बिना मेहनत से खाए तो शरीर न देता साथ,
मेहनत से ही तकदीर बने यह तो पक्की बात।
दृढ़ निश्चय से कर्म कर मिलेगा एक दिन फल,
आज छाया अंधेरा तो सवेरा होगा कल।
कल करे जो आज कर आज करे सो अब,
यह सिखलाती संस्कृति हमारी सिख ले तू सब।

कवयित्री प्रणति साहू

प्रोफेसर कालोनी, रायपुर

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