
मैं हूं नारी ज्योति स्वरूप ,
घर आंगन को रोशन करती उस उजाले पर हक मेरा भी तो है,
मैं हूं नारी ज्ञान स्वरूप,
हर कर्तव्य को अच्छी सी निभाती ,
शिक्षा पाने के लिए बाहर कदम बढ़ाऊ उस पर हक तो मेरा भी है,
मैं हूं नारी प्रेममयि ,
प्रेम से बांधे रखती हूं हर रिश्ते को,
नहीं मैं उपभोग की कोई वस्तु , ना कहने का हक तो मेरा भी है,
मैं हूं नारी मुक्ति स्वरूप,
मनुष्य जीवन का सार है मुक्त होना,
देकर अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान इस धरती को
अंतिम सांसें लेने का हक तो मेरा भी है।

कल्पना
झारसुगुड़ा