रिहाई
पहला सच्चा प्यार हो, राख़ के निचेआग सी सुलगते रहते होमेरे ख्यालों से दूर क्योँनहीं चले जाते हो?वक़्त बेवक़्त याद आ जाते होऐसे तड़पाके मुझे क्या पाते हो?जानती हूँ तुम किस्मत मैं नहीं होफिर भी तुमसे मोहब्बतकम नहीं होती.हसीं की नक़ाम कोशिश कर भी लूँआँखों की नमी कम नहीं होतीबोलो मैं कौनसीदिशा मैं जाऊं,जहाँ भी…