आज नाजाने क्युं अजिव सि बेचनी हुई ,
शायद ये तुम्हारे आने कि खुशी थी,
पतानहीं कीया हुआ……….
तुमसे मिलने के बाद सब कुछ थहम सा गया
आखें तरसती थी तुम्हें देखने के लिए
लेकिन जो भी हुआ अछा हुआ……..
पता नहीं तुम एसे क्यों आए
अर आचानक से चले भी गये
लेकिन जो भी हुआ अछा हुआ……..
क्या कुछ सोच ने लगी थी में
पर जब नींद खुली समझ में आया कि
ये एक सपना हि तो था……..
लेकिन जो भी हुआ अछा हुआ…….
रीमा मेहेर