वक्त

वक्त का भी एक वक्त होता है
जो गुज़र गया ओर
जो आने वाली है
ये जो वक्त गुजर रहि है
ये भी मुकर्रर था
ओ भी मुकर्रर है
जिसकी तुम्हें तलाश है
चंद फासले जरुर हैं वक्त से तुम्हारे
जिसका तुम्हें भी एहसास है
वक्त भी तुमसे
मिलने के लिए बेकरार है
जो हो रहा है उसे होने दो
तकदीर बदलदे एसा कौन है यहां
वक्त के उपर कहा किसी का इख्तेयार हैं ।।

तफिजुल
सम्बलपुर

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