पहला सच्चा प्यार हो, राख़ के निचे
आग सी सुलगते रहते हो
मेरे ख्यालों से दूर क्योँ
नहीं चले जाते हो?
वक़्त बेवक़्त याद आ जाते हो
ऐसे तड़पाके मुझे क्या पाते हो?
जानती हूँ तुम किस्मत मैं नहीं हो
फिर भी तुमसे मोहब्बत
कम नहीं होती.
हसीं की नक़ाम कोशिश कर भी लूँ
आँखों की नमी कम नहीं होती
बोलो मैं कौनसी
दिशा मैं जाऊं,जहाँ भी जाऊं
तुम्हारी यादों की परछाई ही पाऊं.
खुदा के बास्ते सुकून का एक पल
देदो मुझे, तिल तिल मर रही हूँ
एक बार तुम्हारे यादों के क़ैद से रिहाई
देदो मुझे….
सुश्री संगीता