ये दुनिया चाहे कुछ भी कह ले तुझे
पर मैं तो बस इतना कहूंगी कि
मैं तेरे साथ खड़ी थी
जब तू जीत का परचम लहराती
अन्तिम लड़ाई लड़ने खड़ी थी,
जीत का अन्तिम पड़ाव बस छूने बाली थी!
मैं तेरे ही पास खड़ी थी, तेरे ही साथ खड़ी थी;
तेरी खुशी में शामिल, तेरे लिए प्रार्थना करती!
मैं तब भी तेरे साथ खड़ी थी
जब तू हताश बैठी
टूटे सपनों के टुकडों को खुद में ही समाती रही!
धैर्य का बांध टूट चुका था,
पस्त पड़ रहे थे तेरे हौसले
और तू सारी बेदनाओं को
खुद में समाई चुप, बेहद चुप बैठी थी!
शून्य निगाहों से दूर तलक
बस एकटक देख रही थी!
मैं तेरे ही पास थी तब हवा में घुली संवेदना बन,
तेरे जख्मों को नर्म झोंकों से सहलाती हुई!
जानती हूं,
मेरे वहां तेरे साथ होने की ये कहानी
बस मेरे तक ही होगी!
न यह कोई किताब में होगी,
न ही इतिहास के किसी पन्ने में
इसका ज़िक्र होगा
पर मैं जानती हूं,
मैं तेरे साथ खड़ी थी तब,
मैं तेरे साथ खड़ी हूं अब भी!!!