बरसती जब बूंदे लगती दुआएं ,
नजर ये उतlरे काली घटाएं ।
रिमझिम ये धुन लगती संगीत है ,
मन को भा जाए बारिश की गीत है।
झूमे मन संग बरखा बन के ये मोरनी ,
रूप अनोखी वर्षl लगे मन मोहिनी।
प्यासी धरती राह तकती तुम्हारी,
वर्षl रानी पधारो धरा पे हमारी।
बरखा संग बिजुरिया सोलह सिंगार है,
बादल जो गरजे जैसे सितार है।
स्वर्ग सा लगे धरती आने से तुम्हारी,
स्वागत गीत स्वीकार करो ये हमारी।
प्रणति साहू
प्रोफेसर कालोनी, रायपुर