कैसे हो तुम ?

एक अरसे के बाद किसीने
पुछा “कैसे हो तुम ?”

हमने थोडा मुस्कुराया और कहा ” देखो मुस्कराकर
कहेते है, कोई गम नहीं । “
बात बात पर खिलखिलाना
हमारे आदत मे सामील है,
मन ही मन सोचा,
अंदर जो सन्नाटा है
बस कभी किसीको जताते नहीं.।
छोटी छोटी बातों पर रोना
छोड ही दिया हमने
कभी आँखें नम है
तो छिपाते नहीं
खुशी के आँशु हैं कहकर
होठों पर मुस्कान ओढना
कभी छोडते नहीं ।
सवाल सी जिदंगी है, मगर
जबाव न तुम्हारे पास,
न हमारे पास, दिल में
सोर तो बहुत है
लेकिन उसकी कोई जबाव नहीं ।
जिना तो तुमनें नहीं छोड़ा
न हि हमनें , बस जिने का अंदाज
तुम्हारे तरह हमने कभी बदला नहीं ।

सागरीका

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