चलो चलो कर्मबिर यह कर्म करने का समय है,
बहुत हुआ अच्छी बातों सिलसिला का अब कुछ कर दिखाने का समय है।
झटक दो कोएले के कलंक को,
अब हिरा बन निकल ने का समय है।
बहुत जुझे तुम आंधी तूफान से,
अब बरगद बन खड़े रहने का समय है।
धूप बारिश का खेल में अब तो बिसाल गगन मैं इन्द्रधनुष बन बिखरने का समय है।
शंखनाद हो चुका है शस्त्र धारण कर लो अर्जुन कुरुक्षेत्र में उतरने का समय है।
व्यक्तिगत मान अपमान से उपर उठकर,
मानबता को बचाने का ये समय है।
अन्तर्द्वंद को हराकर इस बार एकता के प्रेम को स्थापित करने का समय है।
पतित नहीं तु पाबन है, कुंठित होने का वक्त बित चुका ,
अब सीनगहाशन चढ़ ने का समय है।
बहुत बहाए तूने असुअन के मोती,
अब मुस्कान भरे खजाने भरने का समय है ।
शब से शिब बन अब,
जग से जगदीश बन अब,
अपने दिव्य रूप में आने का समय है।
रक्षा के लिए पुकारा हात जोड़ कर बार बार,
अब रक्षक बन दश भूजा धारन करने का समय है।