इश्क

मेरी ज़िन्दगी मैं कभी कोई
चमत्कार क्योँ नहीं होती?
ऐसा क्या गुनाह हो गया
मुझसे ए खुदा की तेरे
रेहमत की बरसात नहीं होती?
मोहब्बत, मोहब्बत को तरसते रहे
अरमानो को दबाये रखा,
शिकायत किसी से क्या करें
जब समंदर ने ही प्यासा रखा || ||
सुना था प्यार दस्तक देती है
दिल मैं एक बार कभी ना कभी
हम ने भी उस पल का बेसब्री से
इंतज़ार किया, इन्तहा जब हुई
तो चुप चाप ही रोते हैं
हमें क्या पता था के हाथी के दाँत
खाने के और दिखाने के और होते हैँ

सुश्री संगीता

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