उसकी बस्ती में एक छोटा सा घर है मेरा,
मुझे महलों का क्या करना ।
जिसने पिया हो अमृत का प्याला
उसको मधुशाला का क्या करना ।
मैं इश्क हूं जो कभी मरता नहीं
इश पल पल मरती दुनिया से मुझे क्या लेना।
मिट्टी का शरीर एक दिन मिट्टी में मिल जाना है,
दिन तारीख महीने साल हमसे सब छीन जाना है,
अपने तो केवल परमात्मा हैं,
बाकी सारे रिश्ते यहीं छूट जाना है,
मरने के बाद किसने देखी है मुक्ति,
जीते जी चलो हम सबको मुक्त हो जाना है,
कुछ सालों का सफर हे यह,
बेहतरीन से बेहतरीन काम करके दिखाना है,
करुणा से सबकी और हाथ बढ़ाना है,
चेतना को अपनी ऊंचे से ऊंचा उठाना है ।
हम हमेशा से मुक्ति ही हैं बस इस बात को पहचान है।
बंधन, मजबूरी, कमजोरी इन सब बहनों का हमें क्या करना।
मैं इश्क हूं जो कभी मरता नही,
इश पल पल मरती दुनिया से मुझे क्या लेना।
अल्पना