क्या तुमको भी अच्छा लगता है ये मन की मनमानियां,
क्या तुमको भी सुनाई देती है ये लहरों की खामोसियां।
क्या तुमको भी आभास होती है ये दूरीओ में नजदीखियां,
क्या तुमको भी सताती है ये वक्त की नlफरमानिया।
क्या तुमको भी सताती है ये वक्त की नlफरमानिया……..।।
क्या तुमको भी दिखाई देती है ये नज़रों की गुस्ताखियां,
क्या तुमको भी तड़पाती है ये धड़कन की बेताबियां।
क्या तुमको भिगाती है ये नील गगन , ये वादियां।
क्या तुमको भी सताती है ये वक्त की नफरमानिया …… ।
क्या तुमको भी सताती है ये वक्त की नफरमानिया।।
क्या तुमको भी अच्छा लगता है
